Singrauli News : जिला मुख्यालय वैढ़न में जिला अस्पताल के बगल में स्थित शासकीय कन्या महाविद्यालय में शनिवार को वार्मअप के दौरान एक छात्रा अचानक घायल हो गई। दरअसल, छात्रा के पैर के घुटने की कटोरी फिसल गई थी, जिससे उसे तत्काल इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाने हेतु 108 एम्बुलेंस की इमरजेंसी सेवा में कॉल किया गया। कॉल करने के काफी देर बाद बड़ी मुश्किल से एक एम्बुलेंस सीजी 04 एनएस 8052 मौके पर पहुंची, तो कॉलेज स्टाफ ने राहत महसूस की और घायल छात्रा को एम्बुलेंस में ले जाने के लिए जैसे ही एम्बुलेंस का गेट खोलने का प्रयास किया गया तो गेट नहीं खुला। फिर क्या था एम्बुलेंस के स्टाफ ने प्रयास किया और अन्य सभी ने भी काफी देर प्रयास किया, लेकिन एम्बुलेंस का गेट ही नहीं खुला। जिससे तंग आकर कॉलेज स्टाफ ने मजबूरी में एक इलेक्ट्रिक रिक्शा बुक किया और तत्काल घायल छात्रा को लेकर बगल में स्थित जिला अस्पताल सह ट्रामा सेंटर पहुंचे, जहां उसका इलाज शुरू कराया गया।
हार्ट अटैक का मरीज होता तो फिर उसका क्या होता?
108 एम्बुलेंस का गेट नहीं खुलने के इस मामले में राहत की बात त ये रही कि यह एम्बुलेंस जिस छात्रा को लेने पहुंची थी, उस छात्रा को इंजरी हुई थी, लेकिन छात्रा की जगह कोई हार्ट अटैक या इस प्रकार की गंभीर स्थिति वाला पेशेंट होता, जिसका जीवन बचाने के लिए एक-एक सेकेंड, एक-एक मिनट काफी महत्वपूर्ण होता तो उसकी जान को तो ऐसी कंडम एम्बुलेंस जरूर ही खतरे में डाल देती। ऐसे में कायदे से स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन को ऐसी एम्बुलेंस पर ध्यान देना चाहिए और जनता की सेवा के नाम पर ऐसी कंडम एम्बुलेंसों को हटाना चाहिए या फिर इन्हें दुरूस्त कराना चाहिए।
जांच कराकर उचित कदम उठाने की आवश्यकता
बताया जा रहा है कि जिस एम्बुलेंस का गेट नहीं खुल रहा था, वह एम्बुलेंस पुराने जिला अस्पताल में इमरजेंसी सेवाओं के भेजे जाने के लिए खड़ी की जाने वाली तीन एम्बुलेंसों में से एक है। ऐसे में ये एक बड़ी जांच का विषय है कि आखिर ऐसी कंडम एम्बुलेंसों को इमरजेंसी सेवा के कार्यों में किसकी अनुमति से तैनात किया गया?
इनका कहना है
इस मामले में 108 एम्बुलेंस के नोडल अधिकारी को निर्देशित व कर जल्द जांच कराई जाएगी और आवाश्यक कदम उठाये जायेंगे। ताकि ऐसे हालात की पुनरावृति न होने पाए।-डॉ. एनके जैन, सीएमएचओ
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