Singrauli News : देश सहित प्रदेशभर में पीएम जनमन अभियान के तहत आदिवासी परिवारों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए प्रयास किए जा रहे है, लेकिन सिंगरौली की मुड़वानी बैगा आदिवासी बस्ती इस अभियान से छूट गई है। यहां रहने वाले एक सैकड़ा परिवार न केवल अंधेरे में जीवन व्यतीत कर रहे हैं, बल्कि कोयले का काला दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। वैढन व मोरबा के बीच मुड़वानी डैम के आसपास एक सैकड़ा परिवार बैगा निवास करते हैं।
मिट्टी के घरों में रहने वाले इन परिवारों ने अभी तक अपने घर में बिजली की रोशनी नहीं देखी। इनके घरों तक बिजली पहुंचाने के लिए विभाग ने कोई कार्ययोजना भी नहीं बनाई। घरों के आसपास बियावान जंगल व पानी होने से सांप-कीड़े भी अक्सर निकलते रहते हैं, जिससे इनकी जान को भी खतरा बना रहता है। आदिवासी बस्ती में रहने वाले लोगों को पीने का साफ पानी तक नसीब नहीं होता। चूंकि पहाड़ों के बीच मुड़वानी डैम है और उसमें कोयले के पहाड़ों से आने वाला पानी भी पूरी तरह से काला है। डैम के काले पानी में से ही ये परिवार अपने घरों के पास एक गड्ढा खोद लेते हैं और उसमें रिसकर जो गंदा दूषित पानी थोड़ा-बहुत साफ हो जाता है,उसे ही पीने में उपयोग करते हैं, इसलिए बीमारी फैलती रहती है।
आय का कोई स्रोत नहीं
बस्ती के लोला आदिवासी ने बताया कि हमें कंपनी वाले कभी-कभार चौकीदारी पर रख लेते हैं, लेकिन वो भी पूरे महीने नौकरी नहीं देते। जितने दिन के लिए रखते हैं तो 300 रुपए मजदूरी देते हैं। वहीं मुड़वानी स्कूल के शिक्षकों ने बताया कि यहां रहने वाले पुरुष कंपनियों का कबाड़ आवि चुराकर अपना गुजारा करते हैं.
अध्यक्ष का वार्ड, वो भी आते हैं सिर्फ वोट लेने
आदिवासी बैगा बस्ती सिंगरौली नगर निगम के वार्ड 17 में आती है, जिसके पार्षद देवेश पांडेय हैं, जो नगर निगम परिषद में अध्यक्ष भी हैं। बस्ती के लोगों ने कहा कि पार्षद केवल चुनाव के दौरान वोट मांगने आते हैं और 15 अगस्त व 26 जनवरी पर स्कूल में तिरंगा फहराने पहुंचते हैं। इसके अलावा उन्हें अपने वार्ड में रहने वाले आदिवासी परिवारों से कोई लेना-देना नहीं है। पार्षद की निष्क्रियता के चलते ही इन आदिवासी वोटर्स के घरों तक न तो सड़क है और न ही बिजली व पानी की कोई व्यवस्था है।
वादे भी हवा-हवाई
पीएम जनमन के तहत बस्ती में भी विकास कार्य का खाका खींचने के लिए कलेक्टर से लेकर विधायक व स्थानीय पार्षद सहित नगर निगम के जनप्रतिनिधि पहुंचे थे। भ्रमण के बाद अधिकारियों से लेकर नेताओं ने वादे तो बहुत किए, लेकिन अभी तक उन्हें धरातल पर नहीं उतारा। यही वजह है कि इस बस्ती में रहने वाले परिवार नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
बैगा बस्ती में हमने स्कूल तक सड़क बनवा दी है व एक और सड़क़ स्वीकृत कराई है। बिजली पहुंचाने में रेलवे लाइन अड़चन बन रही है, इसलिए अब हम सोलर ऊर्जा से रोशन करने का प्लान बना रहे हैं। पानी की लाइन डाली थी, ट्यूबवेल व मोटर लगाई गई, लेकिन एक हादसे में एक व्यक्ति की जान चली जाने के बाद उसे बंद कर दिया। – देवेश पांडेय, पार्षद वार्ड 17 व अध्यक्ष नगर निगम
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