Bardi Fort : वैसे तो सिंगरौली जिले में पर्यटन स्थलों की कतारें हैं, या यू कहे तो सिंगरौली जिला पर्यटन स्थल का मुख्य जिला है सिंगरौली जिले में ऐसे कई हजारों पर्यटक स्थल है जहां पर विदेश से भी लोग पिकनिक मनाने और घूमने आते हैं। सिंगरौली जिले में ऐसे कई खूबसूरत पार्क, मंदिर, लेक पार्क, जलाशय, ऐतिहासिक स्थल एवं दार्शनिक स्थल है जहां पर लोग जाकर के एक अलग ही आनंद की अनुभूति प्राप्त करते हैं।
चितरंगी का वर्दी किला (Bardi Fort Chitrangi)
आज हम बात करने वाले हैं सिंगरौली जिले के चितरंगी में स्थित बर्दी के किले के बारे में जिसे राजा महाराजा का गढ़ी भी कहा जाता है। ये किला मध्य प्रदेश सिंगरौली जिले के वर्दी नामक ग्राम में स्थित है और यह गांव चितरंगी तहसील में आता है जो चितरंगी से लगभग 20 से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
बर्दी के किले जैसे मनमोहन सौंदर्यता आपने शायद ही कभी देखा होगा या तो यूं कहें कि प्रकृति की ऐसी मनमोहक खूबसूरती आपने शायद ही पहले कभी देखी होगी, क्योंकि वर्दी के इस किले में आज से करीबन हजारों साल पहले राजा महाराजाओं का वास हुआ करता था यहां पर पहले राजा महाराजा रहा करते थे जिसके बाद अब यह एक खूबसूरत दार्शनिक स्थल बन चुका है यहां पर सिर्फ सिंगरौली वासी ही नहीं बल्कि देश के कई कोनों से लोग घूमने के लिए जाते हैं।
सिंगरौली बर्दी किला का इतिहास (History of Singrauli Bardi Fort)

18वीं शताब्दी का यह किला आज भी लोगों के बीच काफी ज्यादा मशहूर है आपको बता दें कि बर्दी का यह किला चंदेल कालीन का किला है जो गोपद और सोन नदी के तट पर स्थित है। वर्दी किले के निर्माण के समय चंदेल साशकों के द्वारा बाहर से कारीगरों को बुलवाकर करवाया गया था और यह किला करीबन 3 एकड़ के क्षेत्र पर निर्मित है इस किले के पश्चिम तरफ गोपद और उत्तर तरफ सोन नदी की कलकलाती हुई धाराएं बहती हैं।
यहां पर होती है मां बरदेश्वरी की पूजा

इस किले में मां वर्देश्वरी और भगवन शिव की मूर्ति भी स्थापित की गई है जहां पर श्रद्धालु अपनी इच्छाओं को व्यक्त करते हैं और कहा जाता है की मां वर्देश्वरी सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण करती हैं इसीलिए जो भी भक्त या पर्यटक वर्दी किला में घूमने जाते हैं और मां बरदेश्वरी के सामने माथा टेक कर मन्नत मांगते हैं तो उनका मनोकामना मां वर्देश्वरी जल्द ही पूर्ण करती हैं।
मां बरदेश्वरी की मूर्ति के अलावा इस किले के आंगन में एक नीम का पेड़ आज भी इस तरह है जिस तरह से आज से कई सालों पहले था. लोगों की यह मानता है कि इस नाम के पेड़ में मां भगवती का वास है। जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से इस नीम के पेड़ की और मां वर्देश्वरी की पूजा करते हैं तो मां उनकी इच्छाएं जल्द ही पूर्ण करती हैं आप जब भी चितरंगी तहसील के वर्दी किला घूमने जाए तो नीम के पेड़ की पूजा अवश्य करें और अपनी इच्छाएं मां भगवती के सामने व्यक्त करें।
वर्दी किला कैसे पहुंचे
आपको बता दे की यह किला सिंगरौली मुख्यालय बैढ़न से तकरीबन 90 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर स्थित है। यहां सड़क मार्ग से बड़े ही आसानी से जाया जा सकता है।