Singrauli News : जनपद पंचायत क्षेत्र बैढ़न के ग्राम ढ़ोढी टोला निवासी एक बुजुर्ग आदिवासी कूप निर्माण का लंबित भुगतान के लिए पिछले 4 वर्षों से जिला एवं जनपद के साथ-साथ ग्राम पंचायत का चक्कर लगाते हुए सीएम हेल्पलाइन में शिकायत भी किया। लेकिन आज तक डांट- फटकार एवं कोरा आश्वासन के अलावा आदिवासी बुजुर्ग के हाथ कुछ भी नहीं लगा है।
ग्राम ढ़ोढी टोला निवासी मोहन सिंह पिता राजपाल सिंह ने कलेक्टर के यहां शिकायत करते हुए नवीन कूप निर्माण कार्य वर्ष 2021 में कराया गया था। इस कूप निर्माण में मेरा पूरा परिवार पत्नी दो पुत्र एवं बहू ने कार्य किया है। पंचायत के तत्कालीन सरपंच सचिव एवं रोजगार सहायक के द्वारा आश्वासन दिया गया था कि कूप निर्माण कार्य पूरा कर दीजिए भुगतान कर दिया जाएगा। लेकिन भुगतान नहीं कराया गया। आगे बताया कि कूप गहरीकरण एवं चौड़ीकरण करने के बाद पत्थर से कूप का जोड़ाई भी कराया गया । हालांकि अभी तक जगत विहीन कूप है। बुजुर्ग आदिवासी ने आगे बताया कि ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक दिनेश सचिव पृथ्वीराज सिंह व सरपंच राम सिंह ने आश्वासन दिया था कि मोहन तुम कूप का निर्माण कार्य करो और मटेरियल भी लगाओ बिल पास होते ही भुगतान कर दिया जाएगा। मटेरियल एवं मजदूरी का कोई भुगतान बकाया नहीं रहेगा । इतना आश्वासन देने के बावजूद आज तक भुगतान नहीं किया है । बल्कि कूप निर्माण का धोखे से सचिव द्वारा बैंक से राशि आहरित करने में सफल हो गया। भुगतान के संबंध में कई बार सरपंच एवं सचिव के यहां गया भी तो फंड न होने का बहाना बताते हुए सचिव के द्वारा उल्टी-सीधी गालियां देकर धमकी दी जाती है। पीड़ित आदिवासी ने कलेक्टर का ध्यान आकृष्ट करते हुए न्याय की गुहार लगाते हुए लंबित मजदूरी भुगतान कराए जाने की मांग किया है।
CM हेल्पलाइन से भी नहीं हुआ निराकरण
बुजुर्ग आदिवासी व्यक्ति ने बताया कि कूप निर्माण का लंबित भुगतान के लिए सीएम हेल्पलाइन में शिकायत भी की गई। लेकिन आज तक उसका कोई निराकरण नहीं हुआ है। बदले में अधिकारी उल्टा डांट-फटकार कर ऑफिस ना आने की नसीहत देते हैं। आदिवासी पीड़ित व्यक्ति अभी बताया कि जनपद पंचायत व जिला पंचायत में गरीबों की कोई सुनने वाला नहीं है। यह के अधिकारी उल्टा डांट-फटकार कर ऑफिस से भगा देते हैं, कई बार जनपद कार्यालय में गया। लेकिन आज तक डांट- फटकार एवं झूठा आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला है। उसने यह भी कहा कि आदिवासी जिले में मंत्री ,विधायक होते हैं भी आदिवासियों का शोषण जारी है जनप्रतिनिधि केवल पद तक हथियाने हरिजन आदिवासी एवं गरीबों के हिमायती बनते हैं और स्वार्थ सिद्ध होते ही अपने वादे से मुकर जाते हैं । वही अधिकारियों की कार्यप्रणाली स्थिति भली-भांति सब जानते हैं।
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