Singrauli News : सीधी, रीवा, मऊगंज, सतना और शहडोल के बाद अब दिमागी बुखार (एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) ने सिंगरौली जिले में भी दस्तक दे दी है। इससे पीड़ित एक डेढ़ वर्षीय बालक की बीते शुक्रवार की शाम श्याम शह मेडिकल कॉलेज रीवा में मौत हो गई। फिलहाल, जिला अस्पताल के आरटीपीसीआर लैब प्रभारी का यह कहना है कि जांच से जुड़ी मशीन उपलब्ध है, लेकिन दिमागी बुखार के संदिग्ध मरीजों को जांच के लिए न तो चिकित्सक लिखते हैं और न शासन स्तर से इसकी किट आती है। इस कारण यहां जांच नहीं होती। जानकारी के अनुसार सई क्षेत्र के भड़सेरा निवासी मंगल सिंह का डेढ़ वर्षीय बालक सुग्रीष सिंह को कई दिन से बुखार आ रहा था। स्थानीय स्तर पर उपचार कराने के बाद जब वह नहीं ठीक हुआ तो परिजनों ने उसे बीते 15 नवंबर को सिंगरौली हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया। वहां से उसे जिला अस्पताल सह ट्रामा सेंटर भेजा गया। उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए जिला अस्पताल से उसे 17 नवंबर को श्याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा रेफर कर दिया गया। वहां 20 को उसके ब्लड की जांच हुई तो उसकी रिपोर्ट एईएस जेई यानी एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम पॉजीटिव आई। सुग्रीव सिंह के मामा आनंद सिंह ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में उसका उपचार चल रहा था, लेकिन गुरुवार की शाम उसकी मृत्यु हो गई।
जनवरी से 20 नवंबर तक 7 जिलों में मिले हैं 50 मरीज
रीवा मेडिकल कॉलेज में इस वर्ष 1 जनवरी से गत 20 नवंबर तक रीवा, सीधी, सतना, शहडोल, मऊगंज और सिंगरौली के बुखार के नमूनों की जांच में एक्यूट इन्सेफ्लाटिस सिंड्रोम या जेई से 50 बच्चे पीड़ित मिले हैं। जिसमें सिंगरौली के पीड़ित बालक की मृत्यु हुई है। इन 50 पॉजीटिव केस में सर्वाधिक 33 मरोज रीवा के हैं। सीधी, शहडोल के 3-3, सतना के 7 मेहर एवं सिंगरौली का एक-एक और मऊगंज के दो मरीज शामिल हैं। सीधी जिले में रामपुर नैकिन, चुरहट और गोपद बनास ब्लॉक में मरीज मिले हैं। ऐसे में सिंगरौली में इसके कई मरीज होने की आशंका है. लेकिन चिकित्सक संदिग्ध केस में दिमागी बुखार की जांच के लिए नहीं लिख रहे तो आरटीपीसीआर लैब में इसकी व्यवस्था नाहीं हो रही।
क्या है एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम या दिमागी बुखार
एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम या दिमागी बुखार को लेकर इस वर्ष 6 अगस्त को प्रमुख सचिव सह स्वास्थ्य आयुक्त ने कलेक्टर, सीएमएचओ, सिविल सर्जन को चांदीपुरा वायरस को लेकर एडवाइजरी जारी की थी। जिसमें कहा था कि एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम विभिन वायरस, बैक्टीरिया, फंगस, परजीवी, स्पाइरीकेट्स, रसायन विषाक्त पदार्थों आदि से तंत्रिका संबंधी उत्पर होने वाला रोग समूह है। एईएस के जेई, डेंगू, एचएसबी, चांदीपुरा वायरस एवं वेस्ट नाइल आदि कई ज्ञात कारण हैं। बोते जून माह से गुजरात में एईएस के केस सामने आए हैं। बीती 31 जुलाई तक गुजरात में 140, मध्य प्रदेश में 4, राजस्थान में तीन और महाराष्ट्र सहित कुल 148 प्रकरण सामने आए थे, जिनमें 59 प्रकरणों में मृत्यु हुई थी। चांदीपुरा वावरस मुख्य रूप से सेंड फ्लई जैसे वाहकों द्वारा फैलता है।
AES लक्षणों वाले रोगियों सर्वप्रथम जेई की होती जांच
जांच से जुड़े तकनीशियन बताते हैं कि एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम के लक्षणों (बुखार के साथ दौरे, उल्टी, सिरदर्द, सुस्ती, अंगों की गति में कमी या मानसिक स्थिति में बदलाव, दस्त, सांस संबंधी समस्याएं, प्लेटलेट में कमी) वाले रोगियों की सर्वप्रथम जापानी इन्सेफलाइटिस यानी जेई की जांच की जाती है। जेई का प्रकोप आमतौर पर मानसून या इसके बाद की अवधि के साथ होता है।
मुख्य रूप से 1 से 15 आयु वर्ग के बच्चे जेई व एईएस से होते हैं पीड़ित
चे मुख्य रूप से 1 से 15 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को प्रभावित करता है। इनमें भी सबसे असुरक्षित आयु 1 से 5 वर्ष है। उसके बाद क्रमशः 3 से 10 और 10 से 15 आयु वर्ग है। जेई के स्थानिक क्षेत्र गंगा के मैदानी इलाकों में फैले हैं। जिसमें पूर्वी यूपी के साथ मप्र के कुछ हिस्से शामिल हैं। इसके प्रकरण जुलाई से सामने आने लगते हैं। सितंबर से अक्टूबर के बीच यह चरम पर पहुंच जाता है। केंद्र सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए जेई वैक्सीन की दो खुराकों को शामिल करने की मंजूरी दी है। जिसमें एक नौ माह की उम्र में खसरे के साथ तथा दूसरी 16 से 26 माह की आयु में डीपीटी बूस्टर के साथ देने का प्रावधान हुआ है।
इनका कहना है
जिला अस्पताल में जेई वा एईएस की जांच हो सकती है, क्योंकि इससे संबंधित महीने उपलब्ध है, लेकिन विभाग द्वारा इसकी किट नहीं भेजी जाती। चिकित्सक भी इसवी आंध के लिए नहीं लिखते। यदि पहल है तो जांच हो सकती है। -डॉ. राजेश बैस, टीआर सेब प्रभारी
मलेरिया विभाग की टीम को भररोड़ा गांव ●भेजा था। वहां आठ-बस घर की बस्ती है। वहां बताया गया कि बच्चे को पीलिया भी था। रिपोर्ट पर्वएत जेई पॉजीटिव आई है। शनिवार को खुप भी जाकर पल करूंगा कि अधिार एईएस। जेई कहां से आया। पता चला है कि उसकी मां अपने मायके डोंगरी ली गई थी। बुखार आने लगा के यहां इलाज कराने के साथ रीवा रेफर किया गया। 20 को उसकी रक्त जांच हुई। फिलहाल लर्व विनष्टीकरण का कार्य शुरू करा दिया गया है। – नागेंद्र सिंह, जिराधिकारी सिंगरौली
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