Singrauli News : बिना शोकॉज नोटिस दिए शिक्षा विभाग में पदस्थ बाबू निलंबित

Singrauli News : जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड-2 पर जेडी रीवा द्वारा की गयी निलंबन की कार्रवाई विभाग में चर्चा का विषय बनी हुई है। सभी लोग जेडी द्वारा की गयी कार्रवाई को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं। शिक्षा विभाग के लोगों की मानें तो जेडी रीवा ने यह कार्रवाई वसूली के भेद कई जगह बताने से नाराज होकर की है। अब बाबू को शीघ्र बहाल करने का आश्वासन देने में जुटे हुए हैं। जानकारों की मानें तो निलंबित बाबू रामनाथ वर्मा अनुकंपा नियुक्ति की फाइल तैयार कर जेडी रीवा कार्यालय में भेजी थी। जिसके एवज में आदान-प्रदान हो चुका था, इसके बावजूद फाइल को दबा दिया गया। रामनाथ वर्मा ने मोबाइल पर जेडी कार्यालय के बाबू को कह दिया था कि पैसा लेने के बावजूद आप लोग फाइल दबाये बैठे हो, यह ठीक नहीं है। यही नहीं रामनाथ वर्मा ने इस प्रकरण को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अपने सहकर्मियों से भी चर्चा की थी। जिसकी जानकारी जेडी रीवा एसके त्रिपाठी तक पहुंच गई तो वह नाराज हो गये और बिना कारण बताओ नोटिस दिये आनन-फानन में रामनाथ वर्मा को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया। जो अब उनके गले की फांस बन गया है। बताया जाता है कि जेडी रीवा कुछ दिनों में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। जिसके कारण भविष्य को संवारने में जुटे हुए हैं.

लगाये गए आरोप का नहीं है साक्ष्य

जानकारों की मानें तो निलंबन आदेश में जेडी ने रामनाथ वर्मा के अनर्गल प्रलाप अथवा मोबाइल पर दबाव बनाने की बात की पुष्टि का उल्लेख भी नहीं किया है। जबकि साक्ष्य मिलने पर ही अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी होती है लेकिन खुन्नस खाये जेडी एसके त्रिपाठी ने अपने अधिकारों को दुरूपयोग किया है। विभाग में इन दिनों यह भी चर्चा में है कि देव प्रताप बैस से जेडी रीवा से गले मिल लिये हैं। उधर डीईओ एसबी सिंह फाइल निस्तारित करने का दबाव बना रहे थे इसलिए जेडी रीवा ने रामनाथ वर्मा को आनन-फानन में निलंबित कर सबको चुप रहने की एक तरह की धमकी ही दी है।

डीईओ के प्रस्ताव पर नहीं की कार्रवाई

रामनाथ वर्मा के निलंबन के आदेश में जेडी ने कहा है कि शाउमावि करैला के प्रधानाध्यक देव प्रताप बैस के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव रीवा जेडी कार्यालय को भेजा गया था। रामनाथ वर्मा, देव प्रताप बैस को निलंबित कराने के लिए मोबाइल पर दबाव बनाने के लिये अनर्गल प्रलाप कर रहे थे। उनका यह कृत्य मप्र सिविल सेवा आचरण नियम-1965 के विपरीत है। इसलिए उन्हें निलंबित किया जाता है।

कार्रवाई पर खड़े कर रहे सवाल

वहीं रामनाथ वर्मा व अन्य कर्मचारी जेडी के इसी आदेश का हवाला देते हुए उनकी कार्रवाई पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। शिक्षा विभाग के जानकारों की मानें तो देव प्रताप सिंह के विरूद्ध कार्रवाई का प्रस्ताव डीईओ एसबी सिंह ने जेडी के पास भेजा था। इसके लिए पूरी प्रक्रिया भी डीईओ ने अपनायी थी। इसके बावजूद जेडी ने देव प्रताप बैस के विरूद्ध कार्रवाई नहीं की। चूंकि उक्त फाइल डीईओ से जुड़ी थी, इसलिए रामनाथ वर्मा का दूर-दूर तक इस प्रकरण से जुड़ाव नहीं था लेकिन जेडी ने उसी फाइल को बहाना बनाया है।

बात करने का तैयार नहीं जेडी

जेडी रीवा एसके त्रिपाठी से रामनाथ वर्मा को बगैर नोटिस दिये अथवा उनका पक्ष सुने बगैर निलंबन की कार्रवाई करने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने बाद में बात करने को कहते हुए फोन काट दिया। दरअसल शिक्षा विभाग में चल रही धांधली में एसके त्रिपाठी का बड़ा रोल रहा है। अतिशेष शिक्षकों की कार्रवाई को मामले से लेकर क्रमोन्नति तक में उनके द्वारा नियमों का उल्लंघन किया गया है। इसके बावजूद वे शान से कमिश्नर की नाक के नीचे नौकरी कर रहे हैं.

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