Vegetable Price in Singrauli : ठंड का मौसम आते ही हरी पत्तेदार सहित तरह-तरह की मौसमी सब्जियों के दाम आमद नीचे आ जाते हैं, लेकिन इस साल दाम कम होने की बजाय या तो बढ़े हैं या पहले की तरह स्थिर हैं। इसकी वजह बिचौलियों की बढ़ती दखलंदाजी बताई जा रही है। दुकानदारों की मानें तो सरकारी नियंत्रण न होने की वजह से ऐसे हालात बने हैं। वहीं दूसरी ओर थोक व्यापारियों का कहना है कि मटर, हरी भाजियों की आवक बढ़ने से इनके दामों में आने वाले समय में गिरावट देखी जा सकती है। आलू और प्याज के दामों में बनी स्थिरता और नई प्याज की आवक होने के बाद भी दामों के घटने की संभावनाओं पर व्यापारियों ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है। यहां स्थानीय और थोक सब्जी मंडी में थोक में आलू 2800 से 3300 रूपए और प्याज 4200 से 5600 रुपये प्रति क्विंटल बतायी जा रही है। फुटकर में नई प्याज के दाम 50 से 70 रूपए प्रति किलो बताये जा रहे हैं। कमोवेश पुरानी आलू के दाम 35 रूपए किलो और पहाड़ी आलू के दाम 40 से 45 रूपए किलो हैं। नई आलू फुटकर मार्केट में 50 रुपये प्रतिकिलो के पार है।
आवक के बाद भी टमाटर के दाम अब भी लाल
ठंड के इस मौसम में 10 से 15 रुपये किलो बिकने वाला टमाटर अब भी दाम के मामले में लाल सुर्ख है। आमद बढ़ने के बाद भी 50 रूपए किलो से नीचे नहीं आया है। बताया जाता है कि वैसे इसके दाम जो कि बारिश के मौसम के दौरान 80 रूपए पर पहुंच गए थे वे मामूली घटकर स्थिर हो गए हैं। वहीं अन्य सब्जियों की बात करें तो ठंड में मजा देने वाला गोल बैगन 40 से 50 रूपए किलो बिक रहा है। लौकी के दाम 30 से 40 रुपये किलो हैं। अन्य सब्जियों में परवल, बरबटी, शिमला मिर्च 80 से 100 रुपये किलो पर हैं। बढ़े दामों के कारण मध्यवर्गीय और कम आय के लोग मौसमी व ताजी सब्जियों का भरपूर आनंद नहीं ले पा रहे हैं।
किचन के बजट पर भारी पड़ रहीं हरी सब्जियां
जैसा कि सभी जानते हैं कि सर्दी के इस मौसम को हेल्दी सीजन के रूप में भी जाना जाता है। सर्दी के तीन माह में हरी और पौष्टिक सब्जियों की भरमार होने और इनके दाम नीचे आ जाने के कारण लोग सब्जियां खाकर सेहत बनाने पर ध्यान देते थे, लेकिन इन पौष्टिक सब्जियों के दाम अभी उबाल लिए हुए हैं, जो आम लोगों की पकड़ से बाहर हैं। ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि हरी सब्जियां सेहत पर भारी पड़ रही हैं। बाजार में हरी सब्जियों की बात करें तो पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन व सेहत के लिए पहचानी जाने वाली चना व मैथी की भाजी जो इन दिनों 10 से 30 रुपये किलो पर बिकती थी इनके दाम अभी भी चढ़े हुए हैं। बाजार में मेथी की भाजी 40 से 60 रुपये किलो, चना की भाजी 100 से 120 रुपये किलो पर बिक रही है। वहीं पालक और लाल भाजी के दाम कम तो हैं लेकिन गत वर्ष के मुकाबले इनके दामों में भी बढ़ोत्तरी है। इनके दाम भी 20 से 30 रुपये प्रतिकिलो है। फूल गोभी 40 से 50 रुपये किलो बेची जा रही है।
मटर-लहसुन के दाम सुनकर आगे बढ़ जा रहे लोग
ठंड के इस मौसम में मारे-मारे फिरने वाला मटर अभी पर्याप्त मात्रा में बाजार में नहीं आया है, लेकिन बाजार में इसके दाम तेजी लिए हुए हैं। ठंड में 20 से 30 रुपये किलो बिकने वाला मटर 100 से 120 रुपये किलो बेचा जा रहा है। वहीं अदरक 80 तो लहसुन 350 से 400 रूपए प्रतिकिलो है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि इन सब्जियों की बात ही निराली है जो आम लोगों की पकड़ से दूर होती जा रही है। वहीं हरी धनिया और मिर्च के दाम भी 80 रुपये किलो पर है।
घरों का बजट बिगाड़ रहीं मौसमी सब्जियां
आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो गत वर्ष के मुकाबले सभी प्रकार की सब्जियों के दाम में काफी तेजी है और यह तेजी लोगों के घरों का बजट बिगाड़ रही है। यहां बाजार में कुछ लोगों से बढ़े हुए दामों पर चर्चा की तो उनका कहना है कि दामों में तेजी की वजह से वे अपनी जरूरत के हिसाब से खरीदी कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि सब्जियों के बढ़े हुए दामों पर सरकार का नियंत्रण होना चाहिए, क्योंकि किसानों को इनका लाभ मिलने की जगह बिचौलिये अपनी जेब भर रहे हैं।