Singrauli News : सिंगरौली के चर्चित महाविद्यालय की खुली पोल! बिना लैब के PG साइंस की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राएं

Singrauli News :  उच्च शिक्षा विभाग का भी अजब हाल है। जिले के अन्य शासकीय कॉलेजों को तो छोडिये, जिसे अग्रणी महाविद्यालय का दर्जा दिया वहां छात्र संख्या के हिसाब से न तो भवन का निर्माण कराया, न पीजी साइंस के लिए लेबोरेटरी जैसी जरूरी व्यवस्था कराई। इस विसंगति के साथ ही बीते जुलाई माह में उच्च शिक्षा विभाग ने अग्रणी महाविद्यालय को पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस

में अपग्रेड कर दिया। इसके बाद उम्मीद थी कि स्वीकृत किए गए नये पदों के साथ लंबे समय से रिक्त चल रहे पदों पर नियमित नियुक्ति जल्द कर दी जाएगी, मगर इसके प्रति उदासीन रुख अपना लिया गया। पीएम कॉलेज का दर्जा मिलने के पहले पीजी साइंस की पढ़ाई स्ववित्तीय व्यवस्था के तहत होती थी। लगभग डेढ़ दशक से ज्यादा समय तक कायम रही इस शैक्षणिक व्यवस्था का हाल यह था कि बिना प्रायोगिक कार्य किए बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं परास्नातक डिग्रीधारी हो गए, जबकि उन्हें इसके लिए ज्यादा फीस देनी पड़ी। बताते हैं कि पीजी साइंस के ज्यादातर छात्रों ने तो प्रायोगिक कार्य किए ही नहीं। स्नातक विज्ञान के लिए स्थापित प्रयोगशालाओं में एकाध को छोडक़र अन्य का हाल भी बहुत बेहतर नहीं है। हालांकि, दो-तीन वर्ष के दौरान वेंडर के माध्यम से बड़ी संख्या में लाखों के उपकरणों की आपूर्ति हुई है। इसमें कुछ हाल के महीनों में आए हैं। जिसे व्यवस्थित करने की जरूरत है।

विज्ञान के पांच विषयों में पीजी करने की सुविधा

जानकारी के अनुसार शासकीय राजनारायण स्मृति अग्रणी महाविद्यालय में विज्ञान के पांच विषयों जूलॉजी, बॉटनी, फिजिक्स, केमेस्ट्री, मैथ में स्ववित्तीय व्यवस्था के तहत पीजी करने की सुविधा करीब डेढ़ दशक से है। इसका औसतन सालाना शुल्क 12 हजार से 15 हजार बताई जाती है। बीते जुलाई माह से स्ववित्तीय के ये सभी पीजी पाठ्यक्रम नियमित हो गए। इसके पहले डेढ़ दशक में पीजी साइंस के हजारों स्टूडेंट यहां से निकल चुके हैं। वर्तमान समय में पीजी साइंस स्ट्रीम में करीब एक से डेढ़ हजार स्टूडेंट के अध्ययनरत होने की बात कही जा रही है।

यूजी साइंस लैब में डेढ़ दशक पुरानी प्रायोगिक सामग्री

सहायक प्राध्यापकों की मानें तो कॉलेज में स्थापित स्नातक विज्ञान की तीनों लैब में हाल में नए उपकरण तो आए हैं, लेकिन प्रायोगिक कार्य के लिए सामग्री नहीं है। जो सामग्री है वह वर्ष 2009 के आसपास आई थी। एक सहायक प्राध्यापक बताते हैं कि बीते तीन साल में पीजी साइंस में तीन से चार हजार स्टूडेंट निकले हैं। उनमें से ज्यादातर ने कभी प्रैक्टिकल नहीं किया, जबकि केमेस्ट्री फिजिक्स के दूसरे चौथे सेमेस्टर व बॉटनी-जूलॉजी के हर सेमेस्टर में प्रैक्टिकल होना है। पीजी साइंस के छात्रों को पढ़ाने के लिए जनभागीदारी के अंतर्गत अतिथि विद्वान रखे गए हैं। जिनकी सैलरी इतनी कम है कि गुणवत्ता की बात करना बेमानी है।

कैंपस ड्राइव में दिखी प्रैक्टिकल न कराने की कमी

प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस में स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ के तत्वावधान में हिंडालको रेणुकूट की ओर से कैंपस ड्राइव का आयोजन किया गया था। इसमें सौ स्टूडेंट को शॉर्ट लिस्ट किया गया था। जिसमें केवल सात को ही चयनित किया गया। कैंपस ड्राइव में आए हिंडालको कंपनी के अधिकारियों ने भी सहायक प्राध्यापकों और अतिथि विद्वानों से कहा था कि बच्चों को थ्योरी की जानकारी तो है, मगर वे उसे प्रैक्टिकल में परिणत करने में सिद्धहस्त नहीं हैं।

इनका कहना है

लीड कॉलेज होने के बाद भी शैक्षणिक व अशैक्षणिक वर्ग में नियमित स्टाफ नहीं हैं। कई पद खाली हैं। इसके अलावा छात्रों की संख्या के हिसाब से पर्याप्त कक्ष व भवन नहीं हैं। फिर भी किसी तरह क्लास संचालन व लैब आदि की व्यवस्था कराई जाती है। गनियारी में नया कैम्पस बनने और एकाध सप्ताह में नियमित पदों पर सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति के बाद शैक्षणिक व्यवस्था बेहतर होगी।– डॉ. एमयू सिद्दीकी, प्राचार्य पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस

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