Singrauli News : सिंगरौली के शासकीय विद्यालयों में छात्रों से क्रीड़ा शुल्क लेने के बाद भी एक-दो को छोड़ अन्य निजी कॉलेज नहीं करते खेल आयोजन 

Singrauli News :  खेल अब शिक्षा का अंग है। छात्र शारीरिक शिक्षा को इलेक्टिव सब्जेक्ट के रूप में पाठ्यक्रम में स्थान देते हैं। वहीं उच्च शिक्षा विभाग भी हर सत्र में शैक्षणिक व खेल कैलेंडर जारी करता है। जिसके अनुसार शासकीय व अशासकीय कॉलेजों को महाविद्यालय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करने के साथ-साथ जिलास्तरीय खेल आयोजनों में अपने यहां के छात्र छात्राओं की विभिन्न इवेंट्स में भागीदारी करानी होती है, लेकिन जिले में संचालित 13 अशासकीय कॉलेजों में से एक-दो को छोडक़र ज्यादातर न तो कॉलेज लेवल पर खेल आयोजन करते हैं, न जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं में विद्यार्थियों की भागीदारी कराने में गंभीर हैं। ये स्थिति तब है जब वे हर वर्ष प्रति छात्र 250 रुपये क्रीड़ा शुल्क लेते हैं। एक वर्ष पहले यह फीस 180 रुपये हुआ करती थी। मजे की बात तो यह कि इसमें से 100 रुपये विश्वविद्यालय को देने होते हैं, लेकिन उच्च शिक्षा, खासकर खेलों के आयोजन से जुड़े लोग बताते हैं कि कोई भी प्राइवेट कॉलेज एपीएस विवि को उसके हिस्से का क्रीड़ा शुल्क जमा ही नहीं करते। वहीं तीन साल से शासकीय कॉलेजों द्वारा भी विश्वविद्यालय को क्रीड़ा शुल्क भेजना बंद कर दिया गया है। यानी पूरा शुल्क कॉलेज के पास रहता है। इसके बाद भी खेलों में छात्र छात्राओं की भागीदारी कराने और खेल आयोजन करने में उदासीनता बरती जा रही है।

केवल दो प्राइवेट कॉलेजों में खेल गतिविधियां

प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस शासकीय राजनारायण अग्रणी महाविद्यालय के वरिष्ठ क्रीड़ा अधिकारी डॉ. विनोद राय बताते हैं कि अशासकीय कॉलेजों में मायाराम महाविद्यालय, शैल मंगलम कॉलेज में खेल आयोजन होते हैं या छात्र-छात्राओं को यदा-कदा जिलास्तरीय प्रतियोगिताओं में भेजते हैं। इसके अलावा किसी कॉलेज में न तो खेलों का आयोजन होता है, न वे उच्च शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित प्रतियोगिताओं में अपनी भागीदारी करते हैं। यह छात्र-छात्राओं के साथ अन्याय है, क्योंकि निजी कॉलेज उनसे 250 रुपये क्रीड़ा शुल्क लेते हैं।

13 अशासकीय कॉलेजों में 4897 छात्र अध्ययनरत

इसी तरह जिले में संचालित 13 अशासकीय कॉलेजों में 4897 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। इन सबसे हर साल 12 लाख 24 हजार 250 रुपये कीड़ा शुल्क मिलता है। जिसका उपयोग खेलों के आयोजन या छात्र-छात्राओं को प्रतियोगिताओं में भाग दिलाने में नहीं हो रहा। राजीव गांधी महाविद्यालय में 375, एनआईसीटी कॉलेज में 248, श्री साईं महाविद्यालय विध्यनगर में 623, अमृत विद्यापीठ महाविद्यालय विध्यनगर में 110, महात्मा गांधी कॉलेज वैढ़न में 92, मायाराम महाविद्यालय मेढ़ौली में 985, साइट महाविद्यालय सिंगरौली में 545, श्री साईं शैल मंगलम कॉलेज सिंगरौली में 342, हाइट महाविद्यालय बरगवां में 90, आईजी कॉलेज पड़ेनिया में 597, चितरंगी डिग्री कॉलेज चितरंगी में 450, आशा डिग्री कॉलेज पड़ैनिया में 340 व अमृत शिक्षा समिति बरगवां में 100 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। इन कॉलेजों में कुछ किराए के भवन में संचालित होते हैं, जिनके कार्यालय लीड कॉलेज के आसपास हैं। बताते हैं कि इनके पास अपने भवन व मैदान नहीं है।

पांच शासकीय कॉलेज भी खेलों में हैं उदासीन

डॉ. विनोद राय बताते हैं कि आधा दर्जन शासकीय महाविद्यालयों पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, कन्या सिंगरौली एवं वैढ़न, रजमिलान व बरगवां को छोड़ दें तो चितरंगी, बरका, देवसर, मॉडल कॉलेज सम्पा, सरई महाविद्यालय में न तो खेलों का आयोजन होता है, न यहां के खिलाड़ियों को जिला, संभाग, राज्यस्तरीय खेल आयोजनों में भेजा जाता है। बताया कि देवसर की जिस छात्रा कात्यायनी ने हाल में आयोजित राज्यस्तरीय कुश्ती में पदक जीता वह भी प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस में आकर अभ्यास करती है। यह हाल तब है जब तीन साल से किसी शासकीय कॉलेज ने एपीएव विवि को उसके हिस्से का खेल शुल्क नहीं दिया है।

जिले के 11 शासकीय कॉलेजों में 12796 छात्र

पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस सहित जिले में 11 शासकीय कॉलेज हैं। जिनकी कुल छात्र संख्या 12796 है। इन सबसे ढाई सौ रुपये कीड़ा शुल्क लिया जाता है। सबसे ज्यादा 6206 छात्र पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस में हैं। इसके बाद कन्या वैढ़न में 1355, कन्या सिंगरौली में 352, सरई कॉलेज में 1057, बरका में 481, देवसर में 997, माड़ा में 200, रजमिलान में 176, चितरंगी कॉलेज में 1132, बरगवां में 447, आदर्श स्नातक महाविद्यालय रंपा में 393 छात्र-छात्रायें नामांकित हैं। सभी 11 कॉलेजों की छात्र संख्या के हिसाब से हर वर्ष 31 लाख 99 हजार रुपये क्रीड़ा शुल्क मिलता है। इसमें 12 लाख 79 हजार 600 रुपये विवि को जाने चाहिए, जो 3 साल से नहीं भेजने की बात कही जा रही है।

इनका कहना है

क्रीड़ा शुल्क लेने के बाद भी कॉलेज स्तरीय खेल आयोजन न कराना, जिला या संभागस्तरीय आयोजनों में प्रतिभागी न भेजना विभाग के निर्देशों की अनदेखी है। जल्द ही सभी अशासकीय कॉलेजों में आधारभूत संरचना की पड़ताल करने के साथ ही कीड़ा शुल्क लेने व उसके उपयोग आदि की जांच कराई जाएगी। -डॉ. एमयू सिद्दीकी, प्राचार्य, प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस वैढ़न

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