Singrauli News : देश के बड़े शहरों की तरह ऊर्जाधानी में भी प्रदूषण बढ़ा हुआ है। पिछले 10 दिनों की बात की जाये तो ये क्रम तेजी से बढ़ रहा है। स्थिति ये हो रही है कि आये दिन जिले में कभी ट्रामा सेंटर वैढ़न तो कभी सूर्यकिरण भवन दुधिचुआ के एयर क्वालिटी इंडेक्स में प्रदूषण का ग्राफ 300 एक्यूआई के पार रेड जोन में पहुंच जा रहा है। रेड जोन में प्रदूषण का खतरा पहुंचने का अर्थ है कि प्रदूषण की स्थिति ऐसे खतरनाक स्तर पर पहुंचना, जिसमें सांस लेने के लिए आबोहवा सुरक्षित नहीं है। इसके अलावा अन्य जिन कुछेक दिनों में प्रदूषण का ग्राफ भले ही ही 3001 एक्यूआई के पार नहीं पहुंच रहा है, उन दिनों में 200 एक्यूआई से अधिक ही दर्ज हो रहा है, जो प्रदूषण के खतरे की शुरूआत माना जाता है।
खदान से लगे एरिया से ज्यादा प्रदूषण बैढ़न में प्रदूषण
से जुड़ी चिंता की एक बात ये भी है कि जिले में प्रदूषण का सर्वाधिक खतरा पिछले 10 दिनों में जिला मुख्यालय बैढ़न क्षेत्र में सर्वाधिक देखने को मिला है। क्योंकि यहां ट्रामा सेंटर में 10 में से 7 दिन प्रदूषण का ग्राफ 300 AQI के रेड जोन पर पहुंच गया, जबकि कोयला खदानों वाले एरिया दुधिचुआ के सूर्यकिरण भवन में पिछले 10 दिनों में 5 दिन AQI300 के रेड जोन में पहुंचा। ऐसे हालात कोई पहली बार नहीं बने हैं, उसके बावजूद अनदेखी की जा रही है।
सर्दियों में प्रदूषण बढ़ने की वजह क्या?
जानकार बताते हैं ठंड के दिनों में प्रदूषण का स्तर बढ़ने का एक सामान्य कारण ये है कि कम होते तापमान के साथ हवाएं ज्यादा तेज नहीं बहतीं। ठंडी हवाएं ज्यादा भारी होती हैं, इससे ये वातावरण में अधिक ऊपर नहीं उठ पातीं और नीचे की ओर रहती हैं। इसी वजह से हवा की वर्टिकल स्पीड कम हो जाती है और नमी कम होती है तो प्रदूषण के कण हवा में तैरते रहते हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता है।
वैढ़न में सर्वाधिक प्रदूषण की वजह व उपाय क्या?
जिले में प्रदूषण का बेअसर करने के जो प्रयास पिछले कुछ वर्ष से चल रहे हैं, उससे पहले 400, 500 एक्यूआई तक पहुंचने वाले ग्राफ में कमी आई है। वैढ़न शहर क्षेत्र में प्रदूषण का ग्राफ 300 एक्यूआई तक कोयला खदान क्षेत्र से अधिक पहुंचने की वजह सड़कों पर दौड़ते वाहन व उठने वाली धूल रहती है। इसके लिए आवश्यक है कि सड़कों के किनारे जो कच्ची सतह पर धूल उठती है, वहां पेवर ब्लॉक की लेयर नगर निगम बिछवाये। साथ ही ननि यहां भी अन्य शहरों की तर्ज पर इन दिनों फागिंग मशीन से पानी का छिडकाव करायें। ऐसे प्रयासों से ही इन दिनों प्रदूषण का असर कम करने का प्रयास कर सकते हैं और इसके लिए निगम को पहले ने कहा जा चुका है। – संजीव मेहरा, क्षेत्रीय अधिकारी मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
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