Singrauli News : मोरवा विस्थापन के मुद्दे पर कोयला मंत्री से मिले पूर्व विधायक रामलल्लू बैस

Singrauli News :  सिंगरौली जिले के पूर्व विधायक एवं एसवीएम के संरक्षक रामलल्लू बैस ने गुरुवार, 22 जनवरी 2025 को दिल्ली में केन्द्रीय कोयला मंत्री भारत सरकार श्री जी कृष्णन रेड्डी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने मोरवा विस्थापन के मुद्दे पर एक ज्ञापन सौंपा और एनसीएल (नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) द्वारा विस्थापितों को पुर्नवास स्थल प्रदान न करने, संपत्तियों पर अतिरिक्त 12 प्रतिशत राशि न देने, और एन.यू.टी. (न्यूक्लियर टेरिटोरीस) की राशि में वृद्धि की मांग की।

रामलल्लू बैस ने मंत्री को जानकारी दी कि एनसीएल, विस्थापितों को उचित पुर्नवास स्थल देने में विफल रही है। इसके अलावा, एनसीएल ने परिसंपत्तियों पर अतिरिक्त 12 प्रतिशत राशि देने की बात से इनकार कर दिया है, जिससे विस्थापितों के लिए एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। बैस ने बताया कि इस विषय में सुप्रीम कोर्ट के सॉलिसिटर जनरल से दो बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एनसीएल ने चर्चा की थी, लेकिन वह जानकारी अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है।

पूर्व विधायक ने यह भी बताया कि एनसीएल के अधिकारी लगभग 10 सालों से कोयला मंत्रालय को पत्र लिख रहे हैं, लेकिन मंत्रालय की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि इस मामले में पूर्व में एनसीएल के महाप्रबंधक राकेश कुमार और खरे भी गोलमाल जानकारियां देते रहे हैं।

रामलल्लू बैस ने कोयला मंत्री को बताया कि मोरवा विस्थापन के तहत 50,000 आबादी वाले इस क्षेत्र के 22,000 घरों के निवासियों को विस्थापित किया जाएगा। बैस ने मंत्री से अनुरोध किया कि विस्थापितों के लिए सुंदर और व्यवस्थित पुर्नवास स्थल प्रदान किया जाए, जैसा कि पहले कोयला सचिव अमृतलाल मीणा ने आश्वासन दिया था।

ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि 7 दिसंबर 2023 को विस्थापित मंच के साथ हुई बैठक में पुर्नवास स्थल के लिए ग्राम भलुगढ़, दादर और गोंदवाली तय किए गए थे। यह स्थल नगर निगम से बाहर स्थित ग्रामीण क्षेत्र में है, लेकिन इसे स्वीकार करने का कारण यह था कि एनसीएल ने अच्छा पुर्नवास स्थल देने का आश्वासन दिया था। इसके अलावा, कलेक्टर ने भी 330 हे. भूमि के लिए डिमांड नोट जारी किया था।

हालांकि, हाल ही में एनसीएल ने पुर्नवास स्थल को बंद कर उसके बदले नगद राशि देने की बात जोर-शोर से शुरू कर दी है। इस पर विस्थापित मंच ने अपनी आपत्ति जताते हुए कहा कि नियमानुसार पुर्नवास स्थल देना अनिवार्य है, और यदि कोई व्यक्ति पुर्नवास स्थल नहीं लेता तो उसे नगद राशि का विकल्प दिया जाना चाहिए।

बैस ने बताया कि विस्थापितों के लिए एक उचित और सुरक्षित पुर्नवास स्थल दिया जाए, ताकि विस्थापित लोग वहां जाकर अपना जीवन और कार्य फिर से शुरू कर सकें। उन्होंने कहा कि यदि पुर्नवास स्थल नहीं दिया जाता और केवल नगद राशि का विकल्प दिया जाता है, तो वृद्ध विस्थापितों की स्थिति बहुत खराब हो जाएगी, क्योंकि उनके पास कोई भूमि नहीं रह जाएगी।

बैस ने एन.यू.टी. स्कीम की राशि को भी कम बताया और कहा कि इसे बढ़ाया जाए। उन्होंने कोल सचिव से बातचीत में यह बात कही थी और सचिव ने इसे बढ़ाने पर विचार करने का आश्वासन भी दिया था। बैस ने यह भी कहा कि यहां लगभग 10,000 विस्थापितों के बीच 1430 एकड़ भूमि का अधिग्रहण होना है, और यदि एन.यू.टी. राशि बढ़ाई जाती है तो विस्थापित लोग अपनी भूमि को एक साथ नहीं जोड़ेंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

इसके अलावा, बैस ने स्वास्थ्य सुविधाओं के आभाव पर भी चिंता व्यक्त की और मंत्री से आग्रह किया कि विस्थापितों के लिए स्वास्थ्य लाभ की योजना बनाई जाए।

रामलल्लू बैस की यह मुलाकात कोयला मंत्री से विस्थापन की जटिलताओं को लेकर महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर कोयला मंत्रालय की ओर से जल्द कोई ठोस कदम उठाने की उम्मीद जताई जा रही है।

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