Singrauli News : औद्योगिक क्षेत्र होने के बावजूद भी सिंगरौली की 20 लाख आबादी में से आधी आबादी गरीब! सरकारी राशन पर निर्भर 

Singrauli News : सिंगरौली जिला राज्य सरकार को राजस्व देने में पूरे प्रदेश में पहले नंबर पर है। यहां से प्रतिवर्ष हजारों करोड़ रुपये का राजस्व सरकार के खजाने में जमा होता है, लेकिन जिले के लोगों की बात की जाए तो आधे से अधिक लोग सरकारी राशन पर निर्भर हैं। यह हम नहीं कह रहे बल्कि सरकारी आंकड़े बता रहे हैं। सरकार भले ही गरीबी रेखा से लोगों को बाहर लाने के लिए तमाम योजनाओं का लाभ देकर गरीबी रेखा से ऊपर लाने का प्रयास कर रही है, लेकिन जिले में आज भी 50 फीसदी से ज्यादा लोग सरकारी राशन पर ही निर्भर हैं। लगभग 20 लाख आबादी वाले जिले में 11 लाख के करीब लोग ऐसे हैं जो हर माह मिलने वाले निःशुल्क सरकारी राशन से अपना व अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं.

50 फीसदी लोग अपने स्तर से ले रहे राशन

जिले की कुल जनसंख्या 20 लाख के करीब है। इस 20 लाख में से 11 लाख के करीब लोग सरकारी राशन प्रति माह लेते हैं। शेष बचे हुए लोग अपने स्तर से राशन क्रय करते हैं। निःशुल्क राशन लेने वालों की सबसे अधिक संख्या शहरी क्षेत्रों में है। खाद्य आपूर्ति विभाग की मानें तो प्रतिमाह 90 से 95 प्रतिशत राशन का वितरण किया जाता है। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो दूसरे जिलों से राशन प्राप्त कर रहे हैं। गौरतलब है कि कोई गरीब भूखा न रहे इसलिए सरकार पात्रता पर्ची के आधार पर राशन हर माह पहुंचा रही है। जिसमें परिवार के प्रति सदस्य के आधार पर गेहूं, चावल और नमक दिया जाता है।

राशन लेने वालों के आंकड़े डाल रहे चिंता में

कोयला खनन व बिजली उत्पादन जिले की आर्थिक धुरी है। इसके अलावा ओबी कंपनियों, स्व सहायता समूह, कृषि के क्षेत्र में आर्थिक रूप से संपन्न माना जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग रोजगार से जुड़े हुए हैं। जिले में लगी आर्थिक पूंजी को देखकर 11 लाख लोगों को राशन की सरकारी कतार में खड़ा होना सवाल और संदेह खड़ा कर रहा है कि या तो अपात्र होने के बाद भी लोग निःशुल्क राशन योजना का हिस्सा बने हुए हैं या फिर हकीकत में जिले के आधे से अधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन कर रहे हैं।

10 लाख 95 हजार 482 लोगों की पात्रता पर्ची

साल 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की आबादी 15 लाख करीब थी। साल 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई। हालांकि, सांख्यिकी विभाग की मानें तो जिले की जनसंख्या में वृद्धि हुई है। इन 13 साल में जिले की आबादी 20 लाख के करीब हो सकती है। 20 लाख आबादी मानी जाए तो वर्तमान में 10 लाख 95 हजार 482 लोगों के नाम पात्रता पर्ची जारी है, जिन्हें प्रतिमाह राशन मिल रहा है। ये बात अलग है कि शासन द्वारा प्रत्येक पात्रताधारी को राशन एलॉट किया जाता है, मगर कुछ लोगों को समय पर राशन नहीं मिल पाता है।

सत्यापन में सामने आएगी असलियत

सरकार द्वारा गरीब वर्ग की श्रेणी में आने वाले लोगों को निःशुल्क राशन, प्रधानमंत्री आवास, संबल योजना, उज्जवला योजना, वनाधिकार पट्टा सहित अन्य योजनाओं का लाभ दिया जाता है, योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ लोग अपात्र होने के बाद भी गरीबी रेखा सूची में अपना नाम जुड़वाए हुए हैं, जबकि आर्थिक रूप से वे सबल है। शासन द्वारा पात्र परिवारों की संख्या का निष्पक्ष तरीके से सत्यापन कराया जाए तो असलियत सामने आ जाएगी।

पात्रता की यह है स्थिति

  • जिले में 2,53,514 पात्रता परिवार की है संख्या।
  • पात्रता परिवार में 11,02,596 सदस्य संख्या है।
  • जिले में कुल 25 हजार अंत्योदय कार्डधारक हैं।
  • प्राथमिकता श्रेणी वाले हर व्यक्ति को 5 किलो राशन।
  • दो किलो गेहूं व तीन किलो चावल का प्रतिमाह वितरण।
  • अंत्योदय कार्डधारियों के प्रत्येक सदस्य को 21 किलो चावल और 14 किलो गेहूं मिलता है।
  • जिले की कुल आबादी लगभग 20 लाख है।

इनका कहना है

जिले की कुल कितनी आबादी है यह तो मुझे नहीं पता, लेकिन जिले में 2 लाख 53 हजार 514 परिवार हैं, जिनमें 11 लाख 2596 सदस्य हैं। जो निःशुल्क राशन प्राप्त करने की श्रेणी में है। यानी 11 लाख से अधिक लोग जिले में शासन की योजना के अनुसार राशन प्राप्त करते हैं।– पीसी चंद्रवंशी, आपूर्ति अधिकारी

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