सिंगरौली जिले की बदहाल स्थिति! न सड़क दुरूस्त न रेल सेवा बेहतर, हवाई सेवा भी साप्ताहिक 

Singrauli News : सिंगरौली जिले से कालापानी का दाग भले ही धुल गया हो लेकिन कनेक्टिविटी के नाम पर अभी भी किसी आईलैंड से कम नहीं है। जिला बनने के 16वें साल में भी आवागमन की सुविधा बेहतर नहीं हो सकी है। जिले में संसाधनों की उपलब्धता पर्याप्त है फिर भी राजनीतिक व प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण पास के बड़े शहरों तक पहुंचने में 4 घंटे से कम समय नहीं लगेगा। रीवा और बनारस भी 4 घंटे से पहले नहीं पहुंच पायेंगे। एमपी के जबलपुर-भोपाल अथवा यूपी के प्रयागराज या लखनऊ तो पूरे 12 घंटे से कम की यात्रा में पहुंच पाना संभव नहीं है। चाहे ट्रेन रूट हो या फिर रोड, दोनों की स्थिति एक जैसी है। हाल ही में शुरू हुई भोपाल-रीवा- जबलपुर-सिंगरौली हवाई सेवा का उपयोग भी पर्यटन या मनोरंजन के लिए ही किया जा सकता है, क्योंकि यह भी भी ट्रेनों ट्रेनों की तरह साप्ताहिक सेवा है। सप्ताह में तीन दिन मंगलवार, बुधवार और शुक्रवार को छह सीटर विमान सिंगरौली तक आता और यहां से सवारियां लेकर भोपाल जाता है। नियमित उड़ान न होने के कारण दो-तीन सवारियां ही आती-जाती हैं।

रीवा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसा है सिंगरौली

जिले के गठन से ठीक 4 साल बाद 24 मई 2012 को तत्कालीन सीएम ने सीधी सिंगरौली के बीच एनएच- 75 को टू-लेन की बजाय फोरलेन बनाए जाने की घोषणा कर दी थी। सिंगरौली जब आदिवासी बहुल जिले से औद्योगिक जिले में तब्दील हुआ तो रीवा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच-75 को एनएच-39 में तब्दील कर दिया गया। 105 किमी की दूरी के लिए 871 करोड़ रूपये की मंजूरी दी गई। 12 साल बाद भी यह फोरलेन पूर्ण नहीं हो पायी है। जिसके खनहना छोर से बरगवां तक 30 किमी में डेढ़ घंटे लगते हैं। बरगवां से अपना साधन हो तो 4 घंटे में रीवा पहुंचा जा सकता है।

सिंगरौली से रेणुकूट जाने में लगते हैं 2 घंटे

यदि सिंगरौली से बनारस जाने के लिए सड़क मार्ग का चयन किया जाए तो रेनूकूट तक 50 किमी की दूरी तय करने में दो घंटे लग जाते हैं यदि कहीं जाम लगा न मिले। गत एक वर्ष से अनपरा रेनूकूट के बीच पहाड़ पर टूलेन होने के कारण जाम लग जाता है। कई बार शाम 7 बजे चलकर रेनूकूट से रात 11 बजे राजधानी एक्सप्रेस को भी पकडता मुश्किल हो जाता है। बनारस जाने के लिए रेनूकूट से भी ढाई से तीन घंटे का सफर करना होगा। रेनूकूट के बाद हाथीनाला पार करने के बाद एक्सप्रेस-वे मिल जायेगा।

रेल कनेक्टिविटी में भी नहीं हो रहा सुधार

सिंगरौली, हावड़ा और भोपाल 1459 किमी के रेलरूट के बीच में स्थित है। जहां से हावड़ा की दूरी 800 किमी और भोपाल की दूरी 659 किमी है। अच्छाई यह है कि सिंगरौली से देश की राजधानी दिल्ली सहित पांच अन्य राज्यों एमपी के भोपाल, यूपी के लखनऊ, बिहार के पटना, बंगाल के कोलकाता और राजस्थान के जयपुर लिए सीधी ट्रेन सिंगरौली से होकर चलती है, जो यहां के लोगों के लिए स्टापेज उपलब्ध है। फिर भी बनारस 7 घंटे, प्रयागराज 11 घंटे, रीवा के लिए ट्रेन की पटरियां बिछाई जा रही हैं। जबलपुर 7 घंटे, भोपाल 12 घंटे, छत्तीसगढ़ के लिए कोई ट्रेन नहीं है। दिल्ली और कोलकाता 24 घंटे में पहुंचा जा सकता है। इससे कम समय में ट्रेन के जरिए सिंगरौली से पहुंच पाना संभव नहीं है।

सिंगरौली से शुरू होती हैं पांच ट्रेनें

सिंगरौली जिले की बदहाल स्थिति!

सिंगरौली से तीन ट्रेनें शुरू होती हैं, जिनमें सिंगरौली से जबलपुर इंटरसिटी, सिंगरौली से बनारस इंटरसिटी, सिंगरौली से पटना, सिंगरौली से भोपाल, सिंगरौली से हजरत निजामुद्दीन सुपर फास्ट एक्सप्रेस चलती है। इनमें जबलपुर, पटना के लिए प्रतिदिन और प्रयागराज, भोपाल और निजामुद्दीन के लिए साप्ताहिक, द्विसाप्ताहिक व तीसरे दिन चलती हैं। कई ट्रेनें जो सिंगरौली की सीधी यात्रा की सुविधा तो प्रदान करती हैं लेकि न सभी शेड्यूल टाइम पर चल पाएं तो ही इन ट्रेनों की उपयोगिता है वर्ना सभी ट्रेनें सिंगरौली में उत्पादित होने वाले कोयले के परिवहन की वजह से लेट चलती हैं। कोलकाता साइड का ट्रैक तो डबल हो चुका है, कटनी की तरफ अगले 4-5 साल में हो पायेगा।

छत्तीसगढ़ का रास्ता भी खराब

छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश का भी हिस्सा हुआ करता था जो सिंगरौली जिले से सीमा साझा करती हैं वावजूद इसके सिंगरौली से छत्तीसगढ़ सीमा तक जाने में 2 घंटे से कम समय में नहीं पहुंचा जा सकता है क्योंकि यह सड़क भी टूलेन ही है। मध्य प्रदेश के हिस्से की सड़क भी खराब है। प्रस्तावित सिंगरौली-प्रयागराज हाइवे के लिये भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ हो गयी है। इसको बनने में भी अभी 4-5 साल तो लगेंगे ही। सिंगरौली-सीधी फोरलेन यदि तेजी से बनवाई जाये तो भी इसे पूरा करने में दो-तीन साल लगेंगे। सिंगरौली से हाथीनाला तक की सड़क को जब तक फोरलेन नहीं किया जाता, तब तक जाम की समस्या बनी ही रहेगी। इसलिये अभी कम से कम 5 साल तक रोड कनेक्टिविटी बेहतर नहीं हो पायेगी।

हवा में हवाई यात्रा की सुविधासिंगरौली जिले की बदहाल स्थिति!

सिंगरौली में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को यदि अंतरर्देशीय हवाई यात्रा करनी है तो उसके लिए बनारस हवाई अड्डे तक सड़क मार्ग से सफर करना होगा। सड़क मार्ग से हवाई अड्डे तक के सफर में जितना समय लगेगा, उससे कम समय हवाई अड्डे से दिल्ली, कोलकाता अथवा मुम्बई के लिए लगेगा। आने वाले दिनों में रीवा से भी हवाई सेवा शुरू हो जायेगी। सिंगरौली में भी 2.3 किमी की हवाई पट्टी बन चुकी है, जिस पर 6 सीट का विमान सप्ताह में तीन दिन आता है। सिंगरौलिया हवाई पट्टी से रीवा, जबलपुर और भोपाल की उड़ान होती है। इस हवाई पट्टी पर एटीआर विमान उतर सकता है जिसके लिये प्रक्रिया पूर्ण की जा रही है। यह सब यदि बिना किसी रूकावट के पूर्ण किया जाये तो अगले वर्ष तक नियमित एटीआर की फ्लाइट शुरू हो सकती है।

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